जब भी दो लोग एक रिश्ते में बंधते हैं, तो उनके साथ कई सपने भी जन्म लेते हैं, एक साथ खुशहाल जीवन बिताने के, नए सफर तय करने के और सबसे महत्वपूर्ण, अपने छोटे से परिवार को बच्चे की ख़ुशी के साथ पूरा करने के।
लेकिन बदलती जीवनशैली, unhealthy diet और बढ़ते stress के कारण स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी तेजी से बढ़ रही हैं। इन्हीं में से एक सबसे बड़ी चुनौती है naturally conceive करने में परेशानी।
तो आखिर इसके पीछे क्या कारण हैं?
जी हां, यह समस्या महिला और पुरुष, दोनों में से किसी को भी हो सकती है, जिसके कारण कई couples को सालों तक कोशिश करने के बावजूद संतान का सुख नहीं मिल पाता।
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि WHO की रिसर्च के अनुसार, दुनियाभर में हर 6 में से 1 व्यक्ति इनफर्टिलिटी की समस्या से जूझ रहा है।

ऐसे में, इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) एक उम्मीद की किरण बनकर सामने आया है, जिसने लाखों copules के माता-पिता बनने के अधूरे सपने को साकार किया है।
लेकिन इसके साथ ही लोगों के मन में कई तरह के doubts आते हैं कि IVF कैसे काम करता है, IVF safe है या नहीं, इस ट्रीटमेंट में कितना खर्च आता है, क्या यह painful होता है, IVF कब करना चहिये।
ऐसा ही एक महत्वपूर्ण सवाल जो couples के मन में आता है वो है, पीरियड के कितने दिन बाद IVF होता है?
इस blog के द्वारा डॉ. स्वाति सिंह और डॉ. संकल्प सिंह आपको IVF से जुड़ी हर जरूरी जानकारी विस्तार से देंगे तथा ये भी बतायेंगे कि पीरियड्स के कितने दिन बाद IVF होता है ताकि आपके मन में कोई संदेह न रहे और आप अपने parenthood बनने के सफर को आत्मविश्वास के साथ शुरू कर सकें।
पीरियड्स के कितने दिनों बाद आईवीएफ ट्रीटमेंट शुरू किया जाता है?
अगर आप IVF कराने के बारे में सोच रहे हैं, तो इसे शुरू करने के लिए सही समय का चुनाव बेहद ज़रूरी होता है, और यह समय आपके पीरियड्स से जुड़ा होता है।
लेकिन सवाल यह है कि पीरियड्स के कितने दिन बाद IVF प्रक्रिया शुरू की जानी चाहिए?
IVF process की शुरुआत महिला के periods के दूसरे या तीसरे दिन की जाती है और इसके लिए सबसे पहला कदम होता है hormone injections.
IVF करवाने वाली महिला को कुछ hormone injections दिए जाते हैं जो eggs के विकास में मदद करते हैं, ताकि पर्याप्त संख्या में परिपक्प (mature) eggs तैयार हो सकें। ये IVF का सबसे पहला और सबसे महत्वपूर्ण step होता है।
यह स्टेप IVF की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, इसलिए सही समय और सही तरीके से इसे follow करना ज़रूरी होता है।
जानते हैं और कौन-कौनसे स्टेप्स शामिल हैं IVF ट्रीटमेंट में!
पीरियड्स और बेसलाइन टेस्ट

IVF का treatment शुरु करने से पहले एक test किया जाता है इसे हम बेसलाइन टेस्ट (baseline test) के नाम से जानते हैं, इस test को करने का उद्देश्य महिला के hormone level और ओवरी (ovary) की स्थिति को समझना होता है, जिससे डॉक्टर्स को यह जानकारी मिल सके, कि महिला की body IVF treatment के लिए ready है या नहीं ।
बेसलाइन टेस्ट में मुख्य रूप से ब्लड टेस्ट (blood test) और अल्ट्रासाउंड (ultrasound test) किया जाता है।
ब्लड टेस्ट के जरिए FSH (Follicle Stimulating Hormone), LH (Luteinizing Hormone), AMH (Anti-Müllerian Hormone) और Estradiol लेवल की जांच की जाती है।
ये सभी हार्मोन ovarian function को दर्शाते हैं और यह जानने में मदद करते हैं कि अंडे बनने की प्रक्रिया कैसी होगी।
इसके साथ ही, अल्ट्रासाउंड से ओवरी और गर्भाशय की स्थिति देखी जाती है, जिससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि भ्रूण के implantation के लिए सही स्थिति है या नहीं।
अगर इस बीच कोई problem का अंदेशा होता है तो पहले उसका treatment किया जाता है ताकि IVF के success के chances बढ़ सके।
पीरियड्स के बाद आईवीएफ के मुख्य चरण
इन सभी test के पूरे होने के बाद, महिला के periods के दूसरे या तीसरे दिन से IVF treatment शुरू किया जाता है। इस process में कई चरण शामिल होते हैं, जो एक निर्धारित समय के अनुसार पूरे किए जाते हैं।
पहले hormonal injections दिए जाते हैं, फिर eggs निकाले जाते हैं और fertilization की प्रक्रिया की जाती है। इसके बाद, विकसित हुए embryo को transfer किया जाता है। आइए इन चरणों को विस्तार से समझते हैं।
1. Hormonel (हार्मोनल स्टिमुलेशन)
ये IVF process का पहला चरण होता है सभी जरुरी test पूरे होने के बाद महिला को FSH (Follicle-Stimulating Hormone), LH (Luteinizing Hormone), hCG (Human Chorionic Gonadotropin) और प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोनल injections दिए जाते हैं, जो eggs को mature करने, ओव्यूलेशन और गर्भाशय को गर्भधारण के लिए तैयार करने में मदद करते हैं।
ये प्रोसेस लगभग 1 से 2 हफ्ते तक चलती है, जिसमे डॉ. ultrasound और blood test के जरिये eggs के development पर निगरानी रखते है।
इसके successful होने के बाद ही अगला चरण शुरू किया जाता है।
2. Ultrasound & Blood test (अल्ट्रासाउंड और ब्लड टेस्ट)
हॉर्मोन इंजेक्शन देने के बाद doctors daily basis पर ब्लड टेस्ट और अल्ट्रासाउंड के जरिये महिला के अंडाशय(ovary) में हो रहे बदलावों की निगरानी करते है।
अल्ट्रासाउंड से यह देखा जाता है कि अंडाणु ठीक से विकसित हो रहे हैं या नहीं, जबकि ब्लड टेस्ट के द्वारा hormonal level की जांच की जाती है।
जब eggs पूरी तरह परिपक्व (mature) हो जाते हैं, तब अगले चरण के लिए प्रक्रिया शुरू की जाती है।
3. Ovulation Trigger (ओवुलेशन ट्रिगर)
अल्ट्रासाउंड से eggs के विकास की पुष्टि होने के बाद, महिला को ट्रिगर इंजेक्शन दिया जाता है। यह इंजेक्शन अंडों को पूरी तरह परिपक्व (mature) करने में मदद करता है, ताकि उन्हें आसानी से बाहर निकाला जा सके।
4. Egg Retrieval (एग रिट्रीवल)
जैसे ही trigger injection दिया जाता है, उसके 34-36 घंटे बाद अंडाणुओं को सावधानीपूर्वक निकाला जाता है।
इस प्रक्रिया में अत्यधिक ध्यान देने की आवश्यकता होती है, क्योंकि यही वह चरण होता है जहां से fertilization की प्रक्रिया शुरू होती है।
निकाले गए egg को तुरंत male के sperm के साथ मिलाया जाता है और lab में fertlize किया जाता है, जहां भ्रूण के विकास की प्रक्रिया शुरू होती है।
5. Fertilization (फर्टिलाइजेशन)
IVF के महत्वपूर्ण steps में से एक है eggs को sperms के साथ मिलाना, जिसे fertilization कहा जाता है।
यह प्रक्रिया lab में की जाती है, जहां अंडाणु (egg) और शुक्राणु (sperm) को सावधानीपूर्वक मिलाया जाता है।
जब sperm सफलतापूर्वक egg को fertilize कर लेता है, तो इसे कुछ दिनों तक निगरानी में रखा जाता है ताकि भ्रूण (embryo) विकसित हो सके। भ्रूण बनने के बाद, अगले चरण में इसे गर्भाशय में रख दिया जाता है।
6. Embryo Transfer (एंब्रियो ट्रांसफर)
IVF में यह सबसे अहम और आखिरी चरण होता है। जब embryo पूरी तरह विकसित हो जाता है, तो उसे सावधानी से महिला के गर्भाशय में रखा जाता है। आम तौर पर महिला के शरीर में multiple भ्रूण बनते हैं उनमे से सर्वश्रेष्ठ भ्रूण का चुनाव करके उसे implant कर दिया जाता है।
अगर आपको लग रहा है कि यह process दर्दनाक हो सकता है, तो घबराने की जरूरत नहीं है, यह पूरी तरह से दर्द रहित होता है और कुछ ही मिनटों में पूरा हो जाता है।
हालांकि, एंब्रियो ट्रांसफर के बाद महिला को पूरा आराम करने की सलाह दी जाती है ताकि कोई भी complications न हो और embryo सही तरीके से गर्भाशय में स्थापित हो सके।
7. प्रेग्नेंसी टेस्ट (Pregnancy Test)
Embryo ट्रांसफर के बाद वो पल, जिसका हर दंपत्ति बेसब्री से इंतजार करता है, वो है प्रेग्नेंसी टेस्ट (pregnancy test)।
एम्ब्र्यो ट्रांसफर के लगभग 10-15 दिन बाद ब्लड टेस्ट के जरिए यह पता लगाया जाता है कि IVF सफल हुआ या नहीं।
इस टेस्ट में hCG हार्मोन के स्तर की जांच की जाती है, जो प्रेग्नेंसी की पुष्टि करता है। अगर टेस्ट पॉजिटिव आता है, तो आगे की देखभाल शुरू की जाती है ताकि गर्भावस्था स्वस्थ बनी रहे।

आईवीएफ प्रक्रिया के दौरान खान-पान और जीवनशैली
आपने ये जान लिया कि ‘पीरियड के कितने दिन बाद आईवीएफ होता है?’ और इसमें कौन कौनसे steps शामिल होते हैं परन्तु क्या आपको पता है कि एक और जो सबसे जरुरी और IVF को सफल बनाने वाली चीज है वो है खान-पान का ध्यान रखना।
क्योंकि जो भी आप खाती हैं, उसका सीधा असर आपकी सेहत, IVF की success, और होने वाले बच्चे पर पड़ता है।
इसलिए प्रोटीन (proteine) और पोषक तत्वों से भरपूर आहार लें, जैसे हरी सब्जियां, ताजे फल, डेयरी प्रोडक्ट्स, अंडे और नट्स, जो शरीर को मजबूत बनाने और गर्भधारण को support करने में मदद करते हैं।
वहीं जंक फूड, कोल्ड ड्रिंक्स, कैफीन और अल्कोहल से बचना चाहिए, क्योंकि ये hormonal balance को बिगाड़ सकते हैं और pregnancy पर नकारात्मक असर डाल सकते हैं।
साथ ही हल्की एक्सरसाइज और योग करें, पर्याप्त नींद लें और तनाव मुक्त रहें, ताकि IVF का result सफल हो सके और आप माता- पिता बनने सुख ले सके।
माता-पिता बनना हर कपल के लिए एक खूबसूरत सपना होता है, लेकिन कई मेडिकल कंडीशंस के कारण कुछ couples के लिए यह सफर आसान नहीं होता। IVF उन couples के लिए एक उम्मीद की किरण है जो naturally conceiving नहीं कर पा रहे हैं।
इस ब्लॉग के द्वारा आपने विस्तार से जाना कि IVF प्रक्रिया कैसे होती है और पीरियड के कितने दिन बाद आईवीएफ होता है परन्तु फिर भी आपको IVF process को लेकर कोई आशंका है तो एक बार experts से consult जरुर करें।
Yaami Fertility के experts आपकी हर शंका को दूर करने और आपको parenthood के इस सफर में मार्गदर्शन देने के लिए हमेशा तैयार हैं।
अगर आप भी अपने पेरेंटहुड के सपने को हकीकत में बदलना चाहते हैं तो, तो आज ही Yaami IVF and Fertility Center से संपर्क करें – क्योंकि हर खुशहाल परिवार की शुरुआत एक सही कदम से होती है!
आईवीएफ की सफलता दर कितनी होती है?
IVF की सफलता दर महिला की उम्र, एग-स्पर्म क्वालिटी (egg-sperm quality), AMH level, ओवरी रिजर्व (ovary reserve) और मेडिकल कंडीशन्स (जैसे PCOS, एंडोमेट्रियोसिस) आदि पर निर्भर करती है। 35 साल से कम उम्र में सफलता दर 50-60% तक हो सकती है, लेकिन उम्र बढ़ने के साथ घटती है।
क्या आईवीएफ दर्दनाक होता है?
IVF treatment ज्यादातर आरामदायक होती है। सिर्फ egg retrieval और embryo transplant के दौरान हल्की असहजता हो सकती है, लेकिन यह अधिक दर्दनाक नहीं होता।
पीरियड के कितने दिन बाद एंब्रियो ट्रांसफर किया जाता है?
एम्ब्र्यो ट्रांसफर आमतौर पर पीरियड्स के 14 से 20 दिनों के बीच किया जाता है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि ट्रांसफर किया जाने वाला embryo फ्रेश है या फ्रोज़न। साथ ही, महिला की मेडिकल कंडीशन और डॉक्टर की सलाह के अनुसार सही समय तय किया जाता है ताकि IVF सफलता की संभावना बढ़ सके।
आईवीएफ करवाने में कितने दिन लगते हैं?
IVF की प्रक्रिया में लगभग 4-6 हफ्ते लग सकते हैं, जिसमें हॉर्मोनल तैयारी, एग रिट्रीवल, फर्टिलाइजेशन और एम्ब्र्यो ट्रांसफर शामिल होते हैं। हालांकि, यह महिला की मेडिकल कंडीशन और डॉक्टर की योजना पर भी निर्भर करता है।

Meet Dr. Swati Singh, a renowned Reproductive Medicine and IVF Specialist based in Indore. With 17 years of experience, she stands as a beacon of hope for couples at Yaami Fertility and IVF Center. Dr. Singh’s passion for academic teaching, research, and cutting-edge technology shines through as she helps couples realize their parenthood dreams with unwavering dedication.