पेट में हल्का सा दर्द ही तो है, Bleeding कम ज्यादा तो होती रहती है, पीरियड्स अनियमित है तो क्या हुआ stress की वजह से ये सब तो चलता रहता है, हम अक्सर ऐसी छोटी-छोटी समस्याओं को नज़रंदाज़ कर देते हैं जब तक वो गंभीर न हो जाएँ।
परन्तु ऐसी ही छोटी छोटी समस्याएं कई अन्य बड़ी समस्याओं का कारण बनती हैं और सही समय पर उपचार न मिलने से गंभीर बीमारियों का रूप ले लेती हैं जैसे ‘बच्चेदानी में सूजन’ (Uterine Inflammation)।
एक रिसर्च के अनुसार, भारत में लगभग हर 5 में से 1 महिला को किसी का किसी रूप में प्रजनन तंत्र से जुडी समस्या होती है और इनमे से एक आम समस्या है – बच्चेदानी में सूजन जिसे medical terms में Endometritis या Pelvic Inflammatory Disease (PID) भी कहा जाता है।
बच्चेदानी में सूजन एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है जो खासकर प्रसव के बाद होती है। यह समस्या न सिर्फ आपकी मासिक धर्म की नियमितता पर असर डालती है, बल्कि गर्भधारण करने की संभावना को भी कम कर सकती है।
Yaami Fertility Center की expert Dr. Swati की अनुसार यदि बच्चेदानी में सूजन के लक्षणों को समय रहते पहचान लिया जाए और इसका इलाज किया जाये तो इसकी गंभीरता को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
आइए इस ब्लॉग के द्वारा विस्तार से समते हैं कि बच्चेदानी में सूजन क्यों होता है, इसके लक्षण क्या हैं और इसका उपचार कैसे किया जा सकता है?
बच्चेदानी में सूजन के लक्षण (bachedani me sujan ke lakshan)

बच्चेदानी में सूजन होने पर शरीर कई तरह के संकेत देता है, जिन्हें हम लक्षण का नाम दे देते हैं। ये लक्षण धीरे धीरे शुरू होते हैं और समय के साथ बढ़ सकते हैं तो चलिए जानते हैं कि बच्चेदानी में सूजन के लक्षण (bachedani me sujan ke lakshan) कौन कौनसे हैं।
1. पेट में सूजन और दर्द:
पेट में सूजन और दर्द बच्चेदानी में सूजन का सबसे आम और महत्वपूर्ण लक्षण है जो लगभग हर महिला में दिखाई देता है। गर्भाशय के आसपास की मांसपेशियों में तनाव और सूजन की वजह से ये दर्द होता है। कई बार ये दर्द इतना तेज होता है की सामान्य काम काज करना मुश्किल हो जाता है।
2. अनियमित मासिक धर्म:
बच्चेदानी में सूजन के कारण hormonal imbalance हो जाता है और इससे मासिक धर्म में भी बदलाव होते हैं । कभी पीरियड्स जल्दी आ जाते हैं, कभी देर से, और कभी बहुत अधिक या बहुत कम ब्लीडिंग होती है।
3. कमर और पीठ में दर्द:
चूँकि गर्भाशय में संक्रमण और सूजन का प्रभाव आसपास के अंगों पर भी पड़ता है इससे कमर के निचले हिस्से और पीठ में लगातार दर्द रह सकता है।
4. यौन सम्बन्ध बनाते समय दर्द:
बच्चेदानी में सूजन और संक्रमण की वजह से योनी और गर्भाशय ग्रीवा में संवेदनशीलता बढ़ जाती है, जिससे शारीरिक सम्बन्ध बनाने में असुविधा और दर्द हो सकता है। यदि आपको भी असहनीय दर्द होता है तो समय रहते डॉक्टर से परामर्श लें क्युकी ये शारीरिक के साथ साथ मानसिक तनाव का भी कारण बनता है।
5. असामान्य योनी स्त्राव:
आमतौर पर योनी से होने होने वाला discharge transparent और सफ़ेद रंग का होता है लेकिन संक्रमण और बच्चेदानी में सूजन की अवस्था में ये हल्के पीले, हरे, या भूरे रंग का हो सकता है। इसके अतिरक्त ये अधिक मात्रा में तथा इसमें दुर्गन्ध भी आ सकती है।
6. मल त्याग करते समय असुविधा:
जब सूजन गर्भाशय के साथ साथ आस पास के अंगो पर भी फ़ैल जाती है तो इसका प्रभाव मलाशय पर भी पड़ता है और ऐसे में मल त्याग करने में परेशानी का भी सामना करना पड़ता है।
7. बार बार पेशाब करने की समस्या:
गर्भाशय की सूजन से मूत्राशय पर प्रभाव पड़ता है जिसके कारण बार बार पेशाब आने की समस्या होती है। यदि सूजन लम्बे तक है तो पेशाब करते समय जलन और दर्द भी हो सकता है।
8. कब्ज:
बच्चेदानी की सूजन और संक्रमण पेट की नसों को भी प्रभावित करता है, जिससे पाचन प्रक्रिया गड़बड़ा जाती है और आपको कब्ज की समस्या हो सकती है।
9. बुखार या ठण्ड लगना:
बुखार शरीर के संक्रमण से लड़ने का एक संकेत या प्राकृतिक तरीका है इसलिए यदि आपको बच्चेदानी में सूजन है और संक्रमण है तो बुखार भी हो सकता है।
10. अत्यधिक थकान महसूस करना:
शरीर जब संक्रमण से लड़ता है तो उसकी साड़ी उर्जा इसी काम में लग जाती है ऐसे में महिलाओं को लगातार थकान, कमजोरी और सुस्ती महसूस होती है।
बच्चेदानी में सूजन के कारण
महिलाएं अक्सर इस बात को लेकर चिंतित रहती हैं कि आखिर बच्चेदानी में सूजन की समस्या होती क्यों है। आइये जानते हैं कि बच्चेदानी में सूजन क्यों होता है तथा इसके मुख्य कारण क्या हैं।
1. STI (यौन संचारित संक्रमण):
यौन संचारित संक्रमण या STI बच्चेदानी में सूजन का एक प्रमुख कारण है। Chlamydia और Gonorrhea जैसे बैक्टीरिया योनी से होते हुए गर्भाशय तक पहुँच जाते हैं और गर्भाशय की अंदरूनी दीवार में सूजन पैदा करते हैं।
2. Pregnancy या Abortion:
गर्भावस्था के दौरान या गर्भपात के बाद गर्भाशय की दीवार कमजोर हो जाती है और इस समय बैक्टीरिया आसानी से अन्दर प्रवेश कर सकते हैं। ऐसे में महिलाओं को सूजन और संक्रमण की समस्या हो सकती है।
यदि गर्भपात अधूरा है या गर्भपात के बाद साफ़ सफाई का ध्यान न दिया जाए तो भी संक्रमण का ख़तरा बढ़ जाता है।
3. सीजेरियन डिलीवरी:
सामान्य प्रसव की तुलना में सीजेरियन ऑपरेशन के बाद संक्रमण का खतरा 5-10 गुना अधिक होता है। operation के दौरान बैक्टीरिया का प्रवेश, उचित एंटीबायोटिक्स न देना, या surgery के बाद घाव की देखभाल में कमी इसके प्रमुख कारण हैं।

4. Bacteria (प्राकृतिक बैक्टीरिया का असंतुलन):
Vagina में प्राकर्तिक रूप से अच्छे और बुरे बैक्टीरिया का संतुलन होता है। जब यह संतुलन बिगड़ जाता है, तो हानिकारक बैक्टीरिया बढ़ जाते हैं और बच्चेदानी में सूजन का कारण बनते हैं।
5. Fibroids (गर्भाशय की गांठें):
आमतौर पर गर्भाशय में मौजूद Fibroids यदि बड़ी हो जाती हैं तो वे गर्भाशय की दीवार को नुक्सान पहुंचाती हैं इससे बैक्टीरिया के लिए प्रवेश का रास्ता बन जाता है।
और बच्चेदानी में संक्रमण और सूजन की संभावना बढ़ जाती है।
6. Hormonal Changes:
यदि शरीर में astrogen और projestrone हॉर्मोन में असंतुलन हो तो ये गर्भाशय की प्राकर्तिक सुरक्षा को कमजोर कर देता है। और दूसरे cases जैसे Menopause और PCOS (Polycystic Ovary Syndrome) जैसी समस्याओं में भी hormonal changes से संक्रमण का ख़तरा बढ़ जाता है और बच्चेदानी में सूजन हो सकती है।
क्या बच्चेदानी में सूजन खतरनाक हो सकती है?
यह सवाल हर महिला के मन में आता है कि क्या बच्चेदानी में सूजन जानलेवा हो सकती है। तो इसका जवाब ‘हाँ’ है। यदि बच्चेदानी में सूजन का समय रहते इलाज न किया जाए तो ये आगे infertility, PID (पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज), खून में संक्रमण, गर्भधारण में कठिनाई आदि का कारण बन सकती है।
इसलिए ये आवश्यक है कि जब भी आपको बच्चेदानी में सूजन से जुड़े लक्षण दिखाई दें तो आप समय रहते doctor से परामर्श जरूर लें।
बच्च्चेदानी में सूजन के उपचार
बच्चेदानी में सूजन का उपचार करने के लिए doctors द्वारा सबसे पहले सम्पूर्ण डायग्नोसिस किया जाता है कि बच्चेदानी में सूजन कितनी है जिससे उसकी गंभीरता के आधार पर सही उपचार का तरीका अपनाया जा सके।
आइये जानते हैं कि बच्चेदानी में सूजन के लिए doctors द्वारा कौन कौनसे तरीके अपनाए जाते हैं।
1. Antibiotic Therapy
यदि बच्चेदानी में सूजन और संक्रमण का कारण बैक्टीरिया है तो doctors द्वारा एंटीबायोटिक थेरेपी दी जाती है।
2. Hormonal Balancing
यदि बच्चेदानी में सूजन hormonal imbalance के कारण हुई है तो doctors Birth control pills या Progesterone therapy suggest करते हैं।
3. Physiotherapy and Pelvic Exercise (फिजियोथेरेपी और पेल्विक एक्सरसाइज)
कई मामलों में सूजन कम करने तथा blood flow को बढाने के लिए doctors फिजियोथेरेपी और पेल्विक एक्सरसाइज की सलाह भी देते हैं।
4. Surgery
गंभीर मामलों में जहाँ दवाइयों से फायदा न हो रहा हो, तो सर्जरी की जरूरत पड़ती है। Hysteroscopy के द्वारा संक्रमित टिश्यू को साफ किया जाता है।

5. Lifestyle Changes and Diet
Doctors के परामर्श के साथ साथ पर्याप्त आराम, तरल पदार्थों का सेवन, और पौष्टिक आहार लेना भी जरूरी है। Lifestyle में साधारण से बदलाव जैसे exercise आदि से भी बच्चेदानी की सूजन में राहत मिलती है।
6. Home Remedies:
हालाँकि घरेलु उपचार बच्चेदानी में सूजन का proven option नहीं है परन्तु हल्की सूजन के मामलों में कुछ घरेलु उपाय जैसे गुनगुने पानी से नहाना, गरम पानी से सेक करना, मेथी और अजवाइन का काढ़ा पीना, हल्दी वाला दूध (anti-inflammatory गुणों की वजह से) आदि काफी फायदेमंद साबित होते हैं।
ध्यान दें कि बच्चेदानी में सूजन से होने वाली गंभीरता को काफी हद तक कम किया जा सकता है यदि इसके लक्षणों को पहचाना जाए और समय रहते experts से सलाह ली जाए। इस ब्लॉग के द्वारा आप विस्तार से जान चुके हैं कि बच्चेदानी में सूजन क्यों होता है, बच्चेदानी में सूजन के लक्षण और उपाय, तथा बच्चेदानी में सूजन के घरेलु उपाय क्या हैं जिससे आप समय रहते इसका पता लगा सकें तथा डॉक्टर से परामर्श ले सकें।
यदि आप भी बच्चेदानी की सूजन से या उससे जुडी किसी अन्य समस्या का समाधान चाहती हैं तो Yaami Fertility Center के विशेषज्ञ आपकी मदद के लिए तैयार हैं।

Meet Dr. Swati Singh, a renowned Reproductive Medicine and IVF Specialist based in Indore. With 17 years of experience, she stands as a beacon of hope for couples at Yaami Fertility and IVF Center. Dr. Singh’s passion for academic teaching, research, and cutting-edge technology shines through as she helps couples realize their parenthood dreams with unwavering dedication.